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बहू की चुदाई

ससुर जी ने चूत में तेल लगा कर चुत मरी Part1 – sasur bahu ki chudai

मेरा नाम सुमोना  है और चंडीगढ़  की रहने वाली हूँ.में एक शादीशुदा औरत  हूँ. अभी करीब दो महीने पहले ही किसी के कहने पर मैंने कहानी को खोलकर पढ़ना शुरू किया और वो सभी कहानियाँ मुझे बहुत अच्छी लगी|

मुझे उनको पढ़कर बड़ा मज़ा आया और फिर मुझे मन ही मन में एक विचार आया, और मैंने सोचा कि क्यों ना में भी अपनी उस घटना के बारे में कुछ लिखकर आप सभी तक पहुंचा दूँ|

मेरी यह पहली कहानी है और मुझे लगता है कि आप सभी को शायद यह जरुर पंसद आयेगी, दोस्तों में सुमोना  एक शादीशुदा औरत हूँ और मेरी उम्र 32 साल है और में मेरे पति के साथ चंडीगढ़ में रहती हूँ|

हमारे परिवार में मेरा एक चार साल का बच्चा है और मेरे ससुरजी और हम दोनों है. आज से करीब दस साल पहले में शादी करके मेरे पति के घर आई तो में बहुत खुश थी |

मेरे पति भी मुझे हमेशा बहुत खुश रखते थे और मेरे सास, ससुर भी मेरा बहुत ध्यान रखते थे, वो मुझे हमेशा अपनी बेटी की तरह रखते थे, लेकिन यह बात तब बिगड़ी जब मेरी सास का देहांत हो गया और दो साल पहले से मेरे ससुरजी की नज़र मुझ पर बिगड़ी|

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ससुर जी ने चूत में तेल लगा कर चुत मरी Part1 - sasur bahu ki chudai

वो अपनी नौकरी के बाद की जिंदगी जी रहे थे, इसलिए वो पूरा दिन घर पर ही रहते थे और अब वो बार बार मुझे अपनी वासना की नज़र से देखते रहते है,कई बार छत पर सुखाने रखे कपड़ो में से वो मेरी ब्रा और पेंटी से खेलते है और वो मुझे चोरी छिपे देखते है|

मैंने कई बार सोचा कि अपने पति को वो सभी बातें बता दूँ कि मेरे ससुर क्या कर रहे है? लेकिन ऐसा करने से मेरा मन नहीं माना, क्योंकि इससे बाप बेटे में झगड़ा हो जाता इसलिए में चुप ही रही. फिर कुछ दिन वैसे ही निकल गये और दिन समय निकालने के साथ साथ मेरे ससुर की हिम्मत भी अब पहले से ज्यादा बढ़ने लगी थी|

अब वो मुझे चाय बनाने के लिए कहते और जब में रसोई में चाय बना रही होती तब वो मेरी मदद करने के बहाने से आ जाते और वो मुझे कोई ना कोई बहाना बनाकर छूने लगते|

दोस्तों मुझे उनकी इन हरकतों पर बड़ा गुस्सा आता था, लेकिन उन्होंने तो एक बार बिल्कुल ही हद कर दी और मेरे साथ वो सब किया जिसकी मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी|

एक दिन की बात है मेरे पति सुबह अपनी नौकरी पर चले गये और वो मेरे लड़के को भी अपने साथ उसके स्कूल छोड़ने के लिए लेकर चले गये,सुबह के सात बजे थे और में नहाने के लिए बाथरूम में जा ही रही थी, मैंने मेरी ब्रा, पेंटी और टावल को बाथरूम में खूंटी पर लगा दिए थे|

अब में अंदर जाकर अपने एक एक करके कपड़ो को उतारने लगी और में पूरी नंगी होकर बस नीचे बैठने ही वाली थी कि तब मेरे ससुर ने मुझे एक ज़ोर से आवाज़ लगाई सूमो|

क्योंकि घर में मुझे प्यार से सब लोगसुमोना  की जगह सूमो  कहते है, सूमो  जल्दी आओ उनकी ज़ोर की आवाज़ से में डर गयी और डर के मारे हड़बड़ाती हुई सोचने लगी कि कुछ अशुभ ना हुआ हो तो अच्छा है|

मैंने फटाफट अंदर रखी हुई मेरी मेक्सी पहनी और बाहर आई. मैंने उस समय सिर्फ़ मेक्सी पहनी हुई थी और मैंने अंदर ब्रा या पेंटी नहीं पहनी थी. मेरे पूरे बदन पर सिर्फ़ एक मेक्सी थी |

वो भी बहुत पतली थी कि उसके आरपार बड़ी आसानी से देख जाए. अब मैंने बाथरूम से बाहर निकलकर देखा तो वो मुझे कहीं नजर नहीं आए. फिर मैंने बाहर जाकर देखा कि वो गार्डन में गिरे पड़े थे|

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में उनके पास दौड़ती चली गयी और अब में उनको उठाने की कोशिश करने लगी थी कि तभी मैंने महसूस किया कि वो मेरी मेक्सी से दिखाई देने वाले मेरे बूब्स और निप्पल को देख रहे थे और में उस वजह से बहुत शरमा गयी|

फिर जैसे तैसे मैंने उनको जल्दी से उठाया और उठते समय उन्होंने अपना एक हाथ मेरी गांड पर रख दिया और तब उनको छूकर महसूस हो गया था कि मैंने अंदर पेंटी भी नहीं पहनी है|

अब मैंने उनसे पूछा कि बाबूजी क्या हुआ, आप कैसे नीचे गिर गये? तब वो बोले कि बहू मेरा अचानक से पैर फिसल गया और में नीचे गिर गया, माफ़ करना बहू मुझे तुम्हे इस हालत में यहाँ नहीं बुलाना चाहिए था|

मैंने उनसे कहा कि पिताजी कोई बात नहीं है, अब आप आराम कीजिए में अभी नहाकर आती हूँ, वो मुझसे कहने लगे कि बहू में पूरा कीचड़ में हो गया हूँ इसलिए तुम बाद में नहा लेना पहले तुम मुझे स्नान कर लेने दो|

दोस्तों उनकी वो बात सुनकर में पहले तो बड़ी सोच में पड़ गयी, लेकिन फिर मुझे लगा कि वो मेरे पिताजी जैसे ही है इसलिए मैंने उनसे कहा कि हाँ ठीक है पिताजी आप पहले जाकर स्नान कर लो और उनके बाथरूम में घुसने के बाद थोड़ी ही देर में वो बाहर निकल गये|

अब उनके बाहर निकलने के बाद में मेक्सी में अपने गुप्तांग जो छुप नहीं रहे थे, में उनको छुपाने की कोशिश करते हुए नहाने के लिए अंदर चली गयी और फिर में अपनी धुन में और सोच में ही नहाने में लगी और जब नहाने के बाद मैंने टावल को लेने के लिए अपना हाथ बढ़ाया तो मुझे ज़ोर का झटका लगा, क्योंकि वहां पर रखा हुआ टावल नहीं था|

तभी मेरे मन में शक हुआ कि यह जरुर मेरे ससुरजी की कोई नयी चाल है,फिर मैंने सोचा कि नहीं ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि वो तो जल्दी में नहाने आए थे तो हो सकता है |

कि ग़लती से वो मेरा टावल अपने साथ ले गए होंगे, फिर मैंने जैसे तैसे करके अपने बदन को साफ किया और फिर में अपनी पेंटी को हाथ में लेकर पहनने ही जा रही थी कि मुझे कुछ गीला सा लगा|

 

मैंने वापस पेंटी को उतारकर देखा तो अंदर पेंटी के भाग पर कुछ चिपचिपा सा लगा हुआ था, में तुरंत समझ गयी कि मेरे ससुरजी ने मेरी पेंटी पर मुठ मारकर अपना वीर्य निकाल दिया है |

वो मेरी चूत पर भी थोड़ा थोड़ा सा लग गया था. अब मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने उस पेंटी को उतारकर कचरे के डब्बे में फेंक दिया,और अब मैंने अपनी ब्रा को देखा तो उन्होंने उसमे भी अपने वीर्य का पानी छोड़ हुआ था |

अब मुझे इतना गुस्सा आ रहा था कि मेरा मन कर रहा था कि में उनका खून कर डालूं इसलिए मैंने गुस्से में आकर अपनी ब्रा को भी कचरे के डब्बे में फेंक दिया था और अब मैंने वापस उनके वीर्य वाली मेरी चूत को साफ किया और मैंने दूसरी बार नहाना शुरू किया|

उसके बाद अब में सोच रही थी कि में बाहर जाऊँ तो कैसे? क्योंकि ना तो अब मेरे पास टावल था और ना ही ब्रा, पेंटी मुझे इस बात पर बड़ा गुस्सा आ रहा था और अब थोड़ा सा पछतावा भी हो रहा था |

कि मैंने क्यों जल्दबाज़ी में अपनी ब्रा और पेंटी को उतारकर कचरे में फेंक दिया? तभी मुझे ना चाहते हुए भी अपने ससुरजी को आवाज़ लगानी पड़ी,मैंने कहा कि पिताजी आप मेरा टावल ग़लती से लेकर चले गये है|

ज़रा आप मुझे दे दीजिए, लेकिन उन्होंने अपनी तरफ से मुझे कोई भी जवाब नहीं दिया और वो कुछ मिनट के बाद बोले हाँ बहू तुम मुझे माफ़ करना में जल्दबाज़ी में अपना टावल ले जाना भूल गया था, इसलिए में तुम्हारा टावल ले आया, ठहरो में तुम्हे दूसरा टावल दे रहा हूँ|

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अब मुझे उनके ऊपर इतना गुस्सा आ रहा था, लेकिन में भला कर भी क्या सकती थी? उन्होंने मुझे आवाज़ लगाकर कहा कि यह लो बहू. अब मैंने बाथरूम का दरवाज़ा थोड़ा सा खोलकर हाथ बाहर निकाल दिया और उन्होंने मेरे हाथ को छूते हुए मुझे टावल दे दिया.

अब मैंने वो टावल देखा तो मुझे और भी ज़्यादा गुस्सा आया, क्योंकि उन्होंने जो टावल दिया था वो एकदम छोटे आकार का था और उसमें दो जगह छोटे छोटे छेद भी थे.

तो में तुरंत समझ गयी कि आज यह बूढ़ा मुझे छोड़ने वाला नहीं है. फिर मैंने उस टावल से अपना शरीर साफ किया और अपने बूब्स से उस टावल को लपेट लिया.

अब मैंने देखा कि वो टावल छोटा होने की वजह से वो मेरी चूत को ठीक तरह से नहीं ढक पा रहा था और इसलिए मैंने ना चाहते हुए भी उस टावल को थोड़ा ऊपर से नीचे किया|

जिसकी वजह से अब टावल मेरे निप्पल से मतलब कि मेरे आधे बूब्स दिख रहे थे और वो दो छोटे छोटे छेद मेरे कूल्हों पर थे जिसकी वजह से मेरी गांड का गोरा रंग साफ दिख रहा था.

में जल्दी से बाहर आई और अपने कमरे में चली गयी और मैंने दरवाज़ा बंद कर लिया, दोस्तों मेरे बाथरूम से बाहर निकलने और रूम में जाने के बीच तक मेरे ससुर ने मेरे गोरे जिस्म के भरपूर दर्शन कर लिए थे और तब मेरी नजर उसके पाजामे पर गई. मैंने देखा कि उसका लंड तन गया था जो उसके पाजामे से साफ नजर आ रहा था.

रात को जब मेरे पति घर आए तो उस समय मैंने उन्हे वो सभी बातें बताने के बारे में बहुत बार सोचा, लेकिन में उनको वो कह नहीं सकी और मुझे रोना आ गया. फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या हुआ?

मैंने उनको तब भी कुछ नहीं बताया और सुबह हम जब उठे तब मैंने देखा कि मेरे पति तैयार हो रहे थे और मैंने उनसे पूछा कि आप कहाँ जा रहे हो?

तब वो बोले कि ऑफिस के काम से में तीन दिनों के लिए दिल्ली जा रहा हूँ और उनके मुहं से यह बात सुनकर मेरे ऊपर जैसे आसमान गिर गया और मैंने बड़े गुस्से से कहा कि आप मुझे अभी बता रहे हो?

उन्होंने मुझसे कहा कि डार्लिंग तुम कल रात को रोने लगी थी और मुझे इसलिए तुम्हे ज्यादा परेशान नहीं करना था इसलिए मैंने तुम्हे कल रात को नहीं बताया|

अब में उनसे जिद करने लगी कि मुझे भी आपके साथ आना है आप मुझे भी अपने साथ ले चलो. तो वो मेरे ऊपर गुस्सा हो गये और बोले कि क्या बच्चो जैसे कर रही हो? और उन्होंने मुझे सुबह सुबह एक बार अपनी बाहों में ले लिया और मुझे नंगा करके किस करने लगे, लेकिन मेरा नसीब ही फूटा हुआ था|

जैसे ही उन्होंने मेरी पेंटी निकाली तो वो मुझसे बोले कि तुम अपनी चूत तो साफ रखा करो, तुम्हे पता है कि मुझे बालों वाली चूत को चोदना अच्छा नहीं लगता|

फिर मैंने उनसे कहा कि आज आप बार कर लो में अगली बार से साफ रखूँगी, उन्होंने कहा कि नहीं और फिर उन्होंने अपना लंड मेरे मुहं में दे दिया और वो मेरे मुहं को धक्के देकर चोदने लगे|

कुछ देर बाद उनका सारा वीर्य मेरे मुहं में भर गया. फिर मैंने फटाफट अपने कपड़े पहन लिए और उन्हे छोड़ने के लिए में बस स्टेंड तक उनके साथ चली गयी, दोस्तों में कुछ देर बाद वापस आ गई और अब में और मेरे ससुरजी घर में एकदम अकेले थे. मुझे उनसे बहुत डर लग रहा था|

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