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हप्सी ठाकुर ने पेल पेल के चीखे निकली – Hindi Sex Story

Hindi Sex Story ; नमस्कार दोस्तों मेरे पिताजी के मरने के बाद जब हम माँ बेटी और एक छोटे भाई को कोई देखने वाला ना रहा तो हमारा परिवार रायपुर मेरे चाचा के पास चला गया| हम लोग नाचने गाने वाली थी| जब किसी के घर पर कोई खुसी होती थी |

तो मैं जाकर वहां डांस करती थी और अच्छा पैसा कमाती थी| जब मेरे बापू जिन्दा थे तो मैं उनही के साथ नाचने जाती थी| बापू हारमोनियम और तबला बजाते थे| जब लोगों के घर पर लड़का होता था, या शादी वगेरह या मुंडन होता था |

तो हम नाचने वाली लड़कियों को बुलाया जाता था| लोग हमको ‘रंडी’ कहकर बुलाते थे| मैं नाचने में बहुत कुशल थी| मेरे ठुमके पर तो गांव के गाँव लुट जाते थे| मैं हर तरह के हिंदी , भोजपुरी, राजस्थानी सभी बोलियों के गानों पर डांस करती थी|

मेरी चाल और ठुमके देखकर सभी दर्शक पागल हो जाते थे| जहां पर मैं प्रोग्राम करती थी वहां बहुत भारी मात्रा में भीड़ लग जाती थी| जवान लड़के मुझे स्टेज पर ५०, १००, ५०० और १००० के नोट देते थे|

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हप्सी ठाकुर ने पेल पेल के चीखे निकली - Hindi Sex Story

छ तो मेरे उपर पूरी गड्डी ही लुटा देते थे| पर बापू के मरने से मेरे परिवार के सिर से उनका साया ही उठ गया| अब जहाँ मैं जाती सभी लड़के मुझे छेड़ते| मेरे चाचीजी भी रायपुर में यही नाचने गाने वाला काम किया करते थे|

एक दिन उन्होंने माँ को फोन किया और कहा की ऐसे तो जिंदगी नहीं कटती| उनके घर पर चले जाए| माँ को भी यही सही लगा| मैं, माँ और मेरा छोटा भाई रायपुर आ गए| अब मैं चाचा के साथ प्रोग्राम करने जाने लगी|

मैं 19 साल की जवान लड़की थी| बहुत सी सुंदर और चिकनी भी थी| धीरे धीरे मेरी डिमांड बढ़ने लगी| मेरे नाच चाचा की लड़की रानी भी नाच किया करती थी| पर जो भी कस्टमर आता तो यही कहटा की गुलाबो रंडी का नाच बंधवाना है |

मेरा चाचा उनलोगों से जलता की उनकी लड़की रानी की कम डिमांड है| जो भी आता है मुझे ही पूछता है| इसलिए चाचा उन लोगों से मनमाना दाम वसूल करता| वैसे तो मेरा नाच २० हजार में बाँधता था|

चाचा जब देखता की कस्टमर मुझसे से प्रोग्राम करवाना चाहता है तो वो मुह फाडकर कभी २५, ३० और ४० हजार तक ले लेता| मेरी माँ के हाथ में वो कभी ५ कभी ६, ७ हजार देता|

धीरे धीरे मुझे पता चला की चाचा ने हम लोगों को शरण सहानुभूति के कारण नही दी| वो मेरे द्वारा नोट छापना चाहता था| इसलिये बड़ी नरमी दिखा कर मेरे परिवार को बुला ली| मेरी माँ सीधी थी|

जरा भी तेज नही थी| वो कभी भी चाचा से हिसाब नही मांगती| एक दिन मैंने ही कह दिया| चाचा !! तुम इतने पैसे पाते हो ३० ३० ४० ४० हजार तुमको मिलते है, फिर माँ को तुम इतने कम क्यूँ देते हो?? मैंने पूछ लिया|वो गुस्सा और खिसिया गया|

तू चुप कर| तू कुछ नही जानती है| कितना खर्चा होता है| मण्डली में कुल ७ ८ लोग है| सबको तनखा देनी पढ़ती है! वो बोला और वहां से भाग गया| मैं जान गयी की चाचा मेरे माल को दबा जाता है| वो मेरा पूरा फायदा उठा रहा है|

मैं मंडली के लोगों से धीरे धीरे पूछताछ शुरू की तो पता चला चाचा सब माल खुद दबा जाता है| हार्मोनियम, तबला वालों को कहीं २०० , कहीं ३०० टिकाता है| और तो और कई लोगो को तो वो भी नहीं मिलता था और बाद में देगा का वादा कर देता था|

धीरे धीरे चाचा हम लोगों को धमकाने लगा| मुझे लगा की जैसे मैं कोई नर्क में फंस गयी हूँ| धीरे धीरे मुझे ये भी शक होने लगा की मेरा चाचा मुझे बुरी नजर से देखता है|अगर मैं उसको लिफ्ट दूँ |

तो वो मेरे साथ कुछ ऊल जलूल हरकत भी कर सकता है| अगर मैं उसको छूट दूँ तो मेरी चूत मुझसे मांग ले| मैं अपने सगे चाचा ने कन्नी काटने लगी| मैं बस अपने काम से काम और मतलब से मतलब रखती|

कुछ दिन बाद मैं एक आमिर ठाकुर के यहाँ प्रोग्राम करने गयी| वहां पर चाचा को बहुत कम पैसा मिला| पर उस ठाकुर की नजर ना जाने क्यूँ मुझ पर टिक गयी| प्रोग्राम खतम होने के बाद उसने चाचा को एक किनारे बुलाया|

ये रंडी तेरी कौन लगती है लम्बरदार ?? ठाकुर ने पूछा|हुजूर ! ये मेरी भतीजी है !! चाचा बोला| बड़ा रापचिक माल है बर्खुदार!! अगर ये मिल जाए तो मैं तेरा सारा घाटा पाट दूँ’ ठाकुर से मेरी ओर गंदी नजरों से देखते हुए कहा|

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हप्सी ठाकुर ने पेल पेल के चीखे निकली - Hindi Sex Story

चाचा तो जैसे ललचा गया| ठाकुर से तुरंत एक बड़ी बोतल इंग्लिश रम की बोतल चाचा के सामने रख दी| मेरा चाचा शराबी भी था| हर प्रोग्राम के बाद वो २ घूंट जरुर लगाता था| चाचा आम तौर पर कच्ची ही लगाता था, क्यूंकि वो सस्ती होती थी|

आज इंग्लिश शराब की बोतल देख के वो तो जैसे पागल हो गया| तेरी भतीजी के १ लाख दूँगा! एक रात के! ठाकुर ने अडवांस ५० हजार की गड्डी चाचा के हाथ में थमा दी | चाचा की बोलती बंद हो गयी|

उसने तुरंत शराब की बोतल अपने कुर्ते की जेब में छुपा ली| भागा भागा मेरे पास आया| अरे बेटी !! ठाकुर जी को कुछ २ ४ मिनट मुजरा कर के दिखा दे! वो बोला|मैं सीधी साधी थी| उसकी चाल समज ना पायी| जैसे ही मैं ठाकुर के घर में गयी|

उधर मेरे दुष्ट चाचा इंग्लिश शराब की बोतल खोल के पीने लगा| मैं ठाकुर के घर में आ गयी| मैंने पैर में घुंघरू बांधे और कुछ मिनट डांस किया तो एकाएक ठाकुर मेरे पास आ गया| मेरा हाथ उसने पकड़ लिया और अंडर कमरे में ले जाने लगा|

ये क्या कर रहें हो ठाकुर जी ?? दिमाग खराब तो नही हो गया है आपका?? मैंने गुस्से से कहा| तेरे चाचा ने तेरा सौदा पुरे १ लाख में किया है| आजा मेरी प्यास बुझा दे| मेरी धर्मपत्नी सालों पहले गुजर गयी है|

कबसे कोई चूत नहीं मारी’ ठाकुर बोला और मेरा हाथ पकड़कर अंदर कमरे में ले जाने लगा| ‘नहीं छोड़ दो मुझे! छोडो!’ मैंने कहा| पर ठाकुर ने मेरी एक नहीं सुनी|मुझे सीधा आदर कमरे में ले गया और उसने दरवाजा बंद कर लिया|

गुलाबो डार्लिंग !! तुम तो हाजारों की भीड़ की प्यास बुझाती हो| आज मेरी भी बुझा दो| तेरे चाचा ने मुझसे ५० हजार अडवांस ले लिया है| रज्जो डार्लिंग!! अब तो तुमको मेरी प्यास बुझानी ही पड़ेगी’ वो कमीना बोला और उसने मुझे बिस्तर पर धकेल दिया|

मैंने एक मस्त लहंगा पहन रखा था| मेरे हाथ में ढेरो चूडियाँ थी , और पैर में घुंगरू बंधे थे| ठाकुर मुझ पर कूद पड़ा| उसका बिस्तर बहुत मस्त था, बड़ा गुल गुल और महंगा था| ठाकुर ने मेरे दोनों हाथों को पकड़ लिया |

मेरे होंठ पर उसने अपने होंठ रख दिए| ‘नही ठाकुर!! मैं नाचती गाती हूँ पर जिस्म का धंधा नही करती! मुझे जाने दो !!’ मैंने हाथ पैर हिलाते हुए कहा| उस पर कोई फर्क नही पड़ा| १ कुन्तल भार वाला ठाकुर मुझ पर लद गया|

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मेरा दम निकलने लगा| वो मेरे होंठ पीने लगा| प्रोग्राम से पहले ही मैंने अपने होंठों पर लिपस्टिक लगायी थी| हरामी ठाकुर से मेरी सारी लाली पी ली| मेरे दोनों हाथ उसने कसके पकड़ लिए थे| मैं चाहकर भी भाग नही पा रही थी|

ठाकुर मेरे जिस्म से खेलने लगा| जैसा मैं उसकी कोई रखेल हूँ| मैंने लाल रंग का लहंगा पहन रखा था| ठाकुर ने मेरा पल्लू हटा दिया| आगे गला गहरा था| मेरे दोनों उजले कबूतर ठाकुर को दिख गए|

पहले तो वो मेरे कबूतरों को मुह में लेने दौड़ा, पर जब उपर से वो मेरे कबूतरों को मुंह में नहीं ले पाया तो उसने अपना हाथ मेरे लाहंगे में डाल दिया| मेरे बूब्स को हाथ में लेकर दबाने का मजा लेने लगा|

मैंने रोने लगी | मैंने कभी सोचा नही था की मेरे चाचा मुझे कुछ रुपयों के लालच में बेच देगा| अब मुझे बड़ा पछतावा हो रहा था की इससे अच्छा तो मैं लखीमपुर में ही रहती| बेकार में रायपुर अपने चाचा के पास मैं आ गयी|

ठाकुर की आँखों में में वासना, काम, और चुदाई का समुन्दर देख रही थी| वो बड़े दिनों से प्यासा था| मेरे दोनों मामो को अपने हाथ से जोर जोर से वो दबा रहा था| मुझे तो वो अपनी मिलकियत समझ रहा था|

मैं रोटी रही| ठाकुर को कोई तरस नहीं आया| उनसे मुझे बैठाया और मेरे लहंगा निकाल दिया|मेरा पेटीकोट, मेरे ब्रा पैंटी सब निकाल दी उस कुत्ते ने दोस्तों| मुझे रात भर पेलने चोदने और खाने के लिए उसने चाचा से १ लाख का सौदा किया था|

ठाकुर मेरे खुले नंगे जिस्म को देख कर वहशी बन गया| उसने अपने सारे कपड़े निकाल दिए| खुलकर मेरे कबूतरों को पीने लगा| मैं रोने लगी| मेरी चूचियों को वो जैसा चाहे मसलने लगा|

उसके बड़े बड़े ताकतवर पंजों में मेरी मुलायम गोरी चुचियाँ एक खिऔना साबित हुई| वो कस कस के मेरी चूची दबाने लगा| मुझे बहुत दर्द हो रहा था|

ठाकुर जी !! मुझे जाने दो !! मैं आपकी बेटी जैसी हूँ !! मैंने रोते रोते कहा| डार्लिंग !! अगर मेरी बेटी तेरी जैसी रापचिक माल होती तो मैं उनको भी ठोक देता| तेरी चूत का स्वाद तो मैं लेकर ही रहूँगा!!

ठाकुर बोला और उसने अपने हाथ में बंधा फूलों का गजरा एक बार सुंघा| मैं रोने लगी| वो मेरे दूध अपनी बीवी समझ के पीने लगा| मेरी काली भुंडियों को वो दांत से काटने लगा|

दोस्तों, मेरी तो माँ चुद गयी थी उस दिन| तब तक उसने अपना सीधा हाथ मेरी चूत पर रख दिया और मेरी चूत में अपनी बीच वाली लंबी ऊँगली पेल दी| आ ऊई माँ!! मर गयी !! मैंने जोर से चिल्लाई|

सच में मुझे बहूत दर्द उठ रहा था| ठाकुर जल्दी जल्दी मेरी चूत में अपनी मोटी ऊँगली करने लगा| आ ऊई माँ!! हाय मैं तो मर गयी !! मैंने रोकर चिल्लाने लगी| ठाकुर को सायद मेरे दर्द पर खूब मजा आ रहा था|

मादरचोद की ऊँगली बड़ी मोटी थी| बिलकुल लंड जितनी मोटी थी| वो कुत्ता जल्दी जल्दी मेरी चूत में ऊँगली करने लगा| मेरी तो माँ ही चुद गयी| उधर उपर से मेरे दोनों मम्मो को वो हमारी पी रहा था|

अभी भी मेरे दोनों पैर में घुंघुरू बंधे थे, जो छम छम की आवाज कर रहें थे| ठाकुर मेरी चूत को अपनी मोटी ऊँगली से छोड़ रहा था| मेरी आँखे और पलकें भीग चुकी थी| रो रोकर मेरा बुरा हाल था|

ठाकुर के ताकतवर पंजे किसी खिलौने की तरह मेरे कबूतरों को लप लप्प दबा देते थे| उसको जिधर चाहते घुमा देते थे| मेरे मम्मो को वो गेंद की तरह मसल रहा था| मैं रोई जा रही थी|

कुछ देर बाद ठाकुर मेरे उपर आ गया| उनसे अपना लंड मेरे भोसड़े पर रखा और अंदर पेल दिया| मेरी तो सांसे तो टंग गयी| आँखों के सामने अँधेरा छा गया| ठाकुर मुझे मस्ती से चोदने लगा|

पक पक पक, फिर घप घप्प घप्प!! मैं तो बड़ी दुबली पतली थी| ६ फुट के ठाकुर के बदन के सामने मैं कोई खिलौना ही साबित हुई| ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है|

ठाकुर मुझे मनचाहे तरह से चोदने लगा| कभी मेरे दोनों टांगों को बायीं ओर कर देता और मुझे पेलता, कभी मेरी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रख देता| उसका लंड तो मेरे भोसड़े को अच्छे से फाड़ रहा था|

घप घप्प वो मुझको चोद रहा था| मेरी अपनी फूटी किसमत पर रो रही थी| कहाँ प्रोग्राम करने आई थी और कहाँ चुद रही थी| ठाकुर से मुझे उस रात जी भरके चोदा दोस्तों|मैंने १ घंटे बाद हथियार आखिर डाल दिए|

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अब मैंने रोना बंद कर दिया| ठाकुर मेरी चूत में भी झड गया था| फिर मुह लगाकर वो मेरी पूरी चूत खा गया| अपनी जिब से सब माल पीकर उसने मेरी चूत साफ कर दी| अब वो मुझे लंड चुसवाने लगा| मैं भी अब चुप हो गयी थी| शांत होकर मैं उसका लंड चूसने लगी|

२ इंच लम्बा और करीब इतना ही मोटा उस हरामी का सुपाडा था| उस कुत्ते का लंड ८ इंच लम्बा तो आराम से होगा| मैं भी मजे से चूसने लगी| फिर कुछ देर बाद उसने मुझे कुतिया बना के २ घंटे और चोदा |

मेरे मुह पर अपना सारा माल गिरा दिया| मुझे कसके के चोदने के बाद उसने चाचा को ५० हाजर की गड्डी और दी| अगले दिन चाचा ने फिर से मेरी माँ को ५ हजार की मामूली रकम थमाई| मेरा दिमाग खराब हो गया|

मैंने शराब की एक बोतल हाथ में ली और दिवार में मार दी| बोतल छुरे जैसी नोकदार हो गयी| मैंने चाचे के गले पर बोतल रख दी| अबे ओ मादरचोद चाचा !! मुझे कालरात ठाकुर से चुदवाकर जो तुने १ लाख कमाए है

वो सीधे सीधे मेरी माँ के हाथ में रख दे वरना ये बोतल तेरे गले में घोंप दूंगी !! मैं चिल्लाई| चाचा बहुत डर गया था| ले बेटी ले !! वो बोला और रुपए लाकर मेरी माँ के हाथ में रख दिए| मैंने माँ को साथ लिया और वापिस अपने घर आ गयी| वरना मेरे कमीना चाचा हर रात मेरे जिस्म का सौदा करता|

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