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Bur Chudai

देसी बुर की सीलतोड़ चुदाई – Desi Bur Chudai

Desi Bur Chudai :नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम कारण है| मैं मध्य प्रदेश के भोपाल शहर से कुछ दूर एक गांव में रहता हूँ| मैं 27 साल का 5 फीट 10 इंच हाइट का हट्टा कट्टा नौजवान हूँ| मेरे लंड का साइज 8 इंच और 3 इंच मोटा है और मैं किसी भी लड़की व औरत को संतुष्ट कर सकता हूँ|

मेरी ये बहन की देसी बुर की चुदाई कहानी आज से 2 साल पहले की है जो मेरी और मौसी की लड़की के बीच हुए सेक्स की है|मेरी मौसी की बेटी का नाम रश्मि है

उस समय उसकी उम्र 18 थी| उसकी लम्बाई 5 फुट 5 इंच थी और उसका 34-28-34 का फिगर बड़ा ही शानदार था| जब वह अपनी सेक्सी गांड हिलाते हुए चलती थी

तो उसे देख कर अच्छे अच्छों के लंड सलामी देने लगते थे| आस पास के कई लड़के उसे लाइन मारते थे, पर वह किसी को भाव नहीं देती थी|

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 देसी बुर की सीलतोड़ चुदाई - Desi Bur Chudai

मैं अक्सर मौसी के घर जाया करता था| मौसी की दो लड़कियां ही थीं, कोई लड़का नहीं था| उनकी बड़ी बेटी की शादी हो चुकी थी| मौसा और मौसी मुझे बहुत मानते थे|

वे गांव में रहते थे| 12वीं पास करने के बाद मौसी ने मेरी माँ से बात करके रश्मि को हमारे यहां पढ़ने के लिए भेज दिया| मैंने उसका एडमिशन लड़कियों के कॉलेज में करा दिया|

अब घर में हम तीन लोग हो गए| मैं, मेरी माँ और खुशबू| मेरे पापा नहीं हैं|रश्मि कॉलेज जाने लगी, मैं उसकी पढ़ाई में मदद कर देता था|

उस समय तक मेरे दिमाग में उसके लिए कोई भी गलत विचार नहीं आया था| लेकिन एक दिन वह सुबह-सुबह नहा रही थी| उसने भूल से बाथरूम का दरवाजा बन्द नहीं किया था|

मेरी माँ मन्दिर गई हुई थीं|मैं रात को केवल नेकर और बनियान ही पहन कर सोता हूँ| सुबह सुबह जब वो बाथरूम में थी| उस वक्त मैं उठा और अपने लंड को हाथ से पकड़े हुए जल्दी से बाथरूम की ओर भागा

क्योंकि मुझे जोर से आई थी| अब दरवाजे के पहुंचते ही मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और जैसे ही दरवाजा खोला, अन्दर का नजारा देख कर मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं|

मेरे हाथ से लंड छूट गया और मेरा लंड 3 इंच से 7 इंच का हो गया| वह बिल्कुल नंगी होकर अपनी चूचियों को साबुन से रगड़ते हुए धो रही थी|

जब उसने मुझे देखा, तो उसने एक हाथ से चूचियों को दूसरे हाथ से अपनी देसी बुर को ढक लिया और सर नीचे करके दीवार से सट कर खड़ी हो गई| पर उसकी नजर मेरे खड़े लंड पर थी|

मैं बाथरूम के अन्दर आ गया और दरवाजा बंद कर लिया| मैंने उसे अपनी बांहों में भर कर उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया|वो मुझे धकेल रही थी और हंसते हुए बोल रही थी- ये क्या कर रहे हो … छोड़ो मुझे|

मैं उसके चूचों को मसलने लगा| तभी दरवाजे पर मेरी माँ के आने की आवाज आ गईं, हम दोनों अलग हो गए| मैंने जाकर दरवाजा खोला और बाहर निकल गया|

इस घटना के बाद मेरी निगाह अपनी देसी बहन के खिलते हुए यौवन पर टिक गई| मैं उस मस्त फूल के रस को भौंरा बन कर चूस लेना चाहता था|

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 देसी बुर की सीलतोड़ चुदाई - Desi Bur Chudai

शायद उसको भी मेरा खड़ा लंड देख कर मजा आ गया था| मैंने महसूस किया कि अब जब भी मैं उसको देखता, तो वो मेरे लंड के उभार को देखने की कोशिश करने लगती थी|

मैंने उसको ऐसा करते देखता, तो अपने लंड पर हाथ फेरने लगता, जिससे वो मुस्कुरा देती और मेरे सामने से हट जाती|हमें मौका नहीं मिल रहा था|

हम दोनों ही किसी अच्छे मौके की तलाश में रहने लगे थे| फिर एक दिन मुझे मौका मिल ही गया, जब मेरी माँ को दस दिनों के लिए लखनऊ जाना था और उनकी शाम को ही ट्रेन थी|

मैंने शाम को माँ ट्रेन पर बैठा दिया| घर आते वक्त मेडिकल स्टोर से कुछ दवाईयां, तीन चार कंडोम के पैकट ले लिए और घर आ गया|

अब घर में हम दोनों के अलावा कोई नहीं था| मैं रात का इन्तजार करने लगा| रश्मि रात का खाना बना रही थी, तो मैंने पीछे से जाकर उसे पकड़ लिया उसकी गर्दन पर चूमने लगा|

मेरी देसी बहन भी मस्त हो गई थी| मेरी चूमने की क्रिया को साथ देने लगी थी| फिर वो कहने लगी- अभी रुक जाओ, पहले मुझे खाना बना लेने दो|मैं हट गया|

उसने जल्दी जल्दी खाना बनाया और हम दोनों ने खाना खाया| मैं बाहर ड्राइंग रूम में बैठ गया| वो बर्तन लेकर रसोई में चली गई|जब वो रसोई से आई

तो मैंने उसे गोद में उठा लिया और कमरे में ले जाकर बेड पर गिरा दिया| उसके बिस्तर पर गिरते ही मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके होंठों को चूमने लगा| मैं धीरे-धीरे उसके मम्मों को दबा रहा था|वह भी गर्म होने लगी थी|

मैंने धीरे धीरे उसके सारे कपड़े उतार दिए और अपने कपड़े भी उतार दिए| मैं उसके नंगे हो चुके मम्मों को चूसने लगा| वह मस्ती में ‘अंह … उंह … अअअह … ह कुछ करो प्लीज्ज … इंन्ह … अअह …’ सीत्कार भर रही थी|

साथ ही वो मेरे लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे कर रही थी| मैं जितनी तेजी से उसके मम्मों को दबा कर चूसने लगता था, वह मेरे लंड को उतनी ही जोर से दबा कर ऊपर नीचे करने लगती थी|

धीरे-धीरे मैं उसे चूमते हुए उसकी देसी बुर पर आ गया| अब मैं उसकी कोरी देसी बुर को अपनी जीभ से कुरेदने लगा| मेरी जीभ का अहसास अपनी बुर पर पाते ही वो एकदम से मचल गई|

मैं उसकी बुर चूसने लगा, तो उसे तो जैसे करंट लग गया हो … वह जोर से सिसकारियां लेने लगी| वो मेरे सर को पूरे जोर से पकड़ कर अपनी देसी बुर पर दबाने लगी|

चुदास की मस्ती ने हम दोनों को अंधा कर दिया था| हम दोनों को बस एक दूसरे के साथ सेक्स का खेल खेलने के अलावा कुछ सूझ ही नहीं रहा था|

उसने धीरे से मेरे कान में कहा- मुझे भी कुल्फी खानी है|मैं झट से उठा और उसके मुँह की तरफ लंड करके लेट गया| अब हम दोनों 69 में हो गए थे| वो मेरे लंड को चाट और चूस रही थी

मैं उसकी देसी बुर को जी भर के चूसने में लगा था|फिर वो अपने पैरों से मेरे सर को अपनी बुर पर जोर से दबाने लगी और झड़ गई|उसके झड़ने के बाद भी मैंने उसकी बुर को चूसना नहीं छोड़ा |

उसकी कोरी देसी बुर का सारा नमकीन रस पी गया|लगातार बुर चाटते रहने से वो कुछ ही पलों में फिर से गर्म हो गई थी|फिर मैंने उसे सीधा किया |

उसकी टांगों के बीच में आकर अपने लंड पर कंडोम चढ़ाया और उसकी देसी बुर पर रगड़ने लगा|वो इस वक्त चुदास से तड़प रही थी और जोर जोर से बोल रही थी- आंह|| आंह|| अब डाल दो प्लीज…

मैंने उसकी टांगों फैला कर उसकी बुर की फांकों में लंड घिसा, तो वो और भी ज्यादा मचल गई| मैंने लंड का सुपारा बुर में रख कर धक्का मारा, पर लंड फिसल गया|

वो हल्के से कराह गई, लेकिन जब लंड नहीं घुसा, तो वो मुझे गुस्से से देखने लगी, जैसे मुझे अनाड़ी कहने की कोशिश कर रही हो|

इस बार मैंने उसके कंधे को पकड़ा और लंड को देसी बुर पर टिका कर कंधे को अपनी तरफ खींचते हुए जोर का धक्का दे मारा| इस धक्के से मेरा आधा लंड उसकी बुर में घुस गया|

वह एकदम से दर्द से तड़फ उठी और रोने लगी| वो लंड निकालने के लिए कहने लगी, मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी| पर मैंने उसे जोर से पकड़ रखा था, जिससे वह हिल भी नहीं पाई|

मैंने उसके रोने की परवाह किए बिना लंड को आधा बाहर खींचा और एक और जोर का धक्का दे मारा| वह अब बेहोश सी होने लगी थी| मैं उसकी हालत देख कर रूक गया और उसके मम्मों को चूसने लगा|

थोड़ी देर में वह सामान्य हो गई और वह अपनी गांड हिलाने लगी| अब मैं भी जोर जोर से धक्के मारने लगा|
वह ‘अंअह… सीइइइ|| अअअ||’ करने लगी|

मैं धक्के मारे जा रहा था| उसकी मस्ती भी मुझे मस्त करने लगी थी| उसकी तंग देसी बुर में पानी आ जाने के कारण लंड को अन्दर बाहर करने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था|

मैं उसकी चूचियों को मसलता और चूसता हुआ उसको धकापेल चोद रहा था|कोई बीस मिनट की चुदाई के दौरान वह तीन बार झड़ चुकी थी|

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अब मेरा होने वाला था और उसका भी| वह मुझे जोर से पकड़ कर झड़ने लगी| मैं भी उसकी बुर में ही झड़ गया| हम दोनों वैसे ही सो गए|

एक घंटे बाद जब नींद खुली, तो वो मुझसे चिपक गई| कंडोम अब भी मेरे लंड से चिपका पड़ा था| मैं उठ कर बैठा और लंड साफ़ करके लेट गया| वो मेरे लंड को सहलाने लगी|

फिर से अभिसार शुरू हो गया| उसने लंड चूस कर खड़ा कर दिया| मैंने उसकी फटी बुर को चाट कर तैयार कर दिया| फिर से कंडोम चढ़ाया और उसकी देसी बुर में लंड पेल दिया|

अबकी बार वो मस्ती से मेरे साथ सेक्स कर रही थी| कुछ देर बाद मैंने उसे अपने लंड के ऊपर आने को कहा| वो मेरे लंड की सवारी करने लगी| फिर कुतिया बना कर भी उसे चोदा| मस्ती से चुदाई का मजा आने लगा था|

तीन बार की चुदाई के बाद वो मेरे बिस्तर की रानी बन गई थी|ऐसा ही दस दिनों तक चला| उसके बाद फिर हमें जब भी मौका मिला हम सेक्स करते रहे|फिर उसकी पढ़ाई खत्म हो गई और वह अपने गांव चली गई|

अब उसकी शादी हो गयी है|आपको मेरी मौसी की लड़की यानि मेरी मौसेरी बहन की देसी बुर की चुदाई की कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करके जरूर बताएं|

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